
दांडी कूच ने हिला दी अंग्रेजों की चूल
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने दांडी कूच दिवस के अवसर पर कहा कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का यह निरंतर प्रयास रहा है कि महात्मा गांधी जिन आदर्शों के लिए खड़े थे, उन्हें बनाए रखा जाए और उन्हें संजोया जाए और ऐसे रास्ते भी विकसित किए जाएं जो उनके आदर्शों को प्रदर्शित करें और उन्हें लोगों के करीब लाएं।आश्रम के वर्तमान पांच एकड़ क्षेत्र को 55 एकड़ तक विस्तारित किया जाएगा। 36 वर्तमान भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिनमें से ‘हृदय कुंज’ सहित 20 भवनों, जो गांधीजी का निवास स्थान था, को संरक्षित किया जाएगा, 13 का जीर्णोद्धार किया जाएगा और 3 का पुनरुद्धार किया जाएगा।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि 12मार्च की तारीख में दर्ज प्रमुख घटनाओं में 1930 में शुरू हुआ दांडी मार्च’ भी शामिल है। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम पड़ाव माना जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस दिन अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिये दांडी यात्रा शुरू की थी। बापू ने अंग्रेजों के बनाए नमक कानून को तोड़कर उस सत्ता को चुनौती दी थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक डॉक्टर आरके जैन, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, आलोक मित्तल एडवोकेट, सार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, अनीता गुप्ता आदि ने कहा कि
महात्मा गांधी ने देश के आम नागरिकों को एक मंच पर लाकर अंग्रेजी सत्ता के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी थी। वो हर काम को बड़ी ही शांति और सादगी से करना पसंद करते थे।यहां तक कि आजादी की लड़ाई भी उन्होंने बिना किसी तलवार और बंदूक के लड़ी।
दांडी मार्च को नमक मार्च या दांडी सत्याग्रह के रूप में भी इतिहास में जगह मिली है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ